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इस गांव में हनुमान जी का नाम लेना और मारुति कार लाना है वर्जित, लोग करते हैं 'निंबा दैत्य' की पूजाइस

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अहमदनगर (अहिल्या/अहमदनगर) जिले के पाथर्डी तालुका में स्थित इस गांव का नाम नंदूर निंबा दैत्य (या दैत्यनांदुर) है, जहां हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती और गांव में कोई हनुमान मंदिर भी नहीं है । स्थानीय परंपरा के अनुसार लोग अपने बच्चों का नाम भी हनुमान/मारुति पर नहीं रखते और हनुमान से जुड़े प्रतीकों से दूरी बनाए रखते हैं ।

अनोखी परंपरा: ‘मारुति’ नाम से परहेज

गांव में मारुति ब्रांड की कारें लाने को भी अपशकुन माना जाता है, क्योंकि ‘मारुति’ हनुमान का एक प्रसिद्घ नाम है, इसलिए गांव की परंपरा में मारुति कारों की एंट्री पर सामाजिक रोक देखी जाती है । वर्षों से मीडिया रिपोर्ट्स में यह नियम सामने आता रहा है कि गांववाले मारुति कारों से दूरी रखते हैं और हनुमान से जुड़े नामों/चिह्नों को स्वीकार नहीं करते ।

मिथक और लोककथा

स्थानीय लोककथाओं के अनुसार ‘निंबा दैत्य’ एक दैत्य कुल का पात्र था, जो भगवान राम का भक्त था, और उसका हनुमान से संघर्ष हुआ था; कथा में कहा जाता है कि राम ने निंबा दैत्य को इस क्षेत्र का इष्टदेव मानने का वरदान दिया, जिसके बाद यहां हनुमान की पूजा नहीं की जाती । दावे के मुताबिक इस निर्णय के कारण गांव का नाम भी नंदूर निंबा दैत्य पड़ा और परंपराएं पीढ़ियों से ऐसे ही चली आ रही हैं ।

मंदिर और पर्व

गांव में निंबा दैत्य का प्रमुख मंदिर माना जाता है, जहां लोग साल भर दर्शन करते हैं और गुड़ी पड़वा पर विशेष रूप से यात्रा/जुलूस निकाले जाते हैं । आम हिन्दू देवी-देवताओं जैसे गणेश, कृष्ण आदि की भक्ति व्यक्तिगत स्तर पर देखी जा सकती है, लेकिन हनुमान से संबंधित पूजा-पाठ और प्रतीकों से गांव की परंपरा अलग रहती है।

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