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रामस्वरूप यूनिवर्सिटी लाठीचार्ज कांड: IG प्रवीण कुमार ने संभाली जांच की कमान, दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई!

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राकेश पाण्डेय

लखनऊ: बाराबंकी के रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में LLB छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार ने जांच की कमान संभाल ली है। इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया गया है।

मेयो अस्पताल में घायल छात्रों से मुलाकात

आईजी प्रवीण कुमार मंगलवार को बाराबंकी पहुंचे और सबसे पहले मेयो अस्पताल जाकर लाठीचार्ज में घायल हुए छात्रों का हाल जाना। छात्रों ने बताया कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने बिना वजह लाठियां बरसाईं। कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं, जिन्हें लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया। घायल छात्र विनय ने कहा, “हमें यूनिवर्सिटी प्रशासन से करियर खराब करने की धमकियां मिल रही थीं। जब हमने विरोध किया, तो पुलिस ने सीओ हर्षित चौहान की मौजूदगी में हमें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।”

पुलिस लाइन में अधिकारियों के साथ बैठक

अस्पताल के बाद आईजी प्रवीण कुमार पुलिस लाइन सभागार पहुंचे। यहां उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और लाठीचार्ज की घटना की पूरी जानकारी ली। आईजी ने साफ कहा, “इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हम किसी को बख्शने वाले नहीं हैं।” सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए कुछ छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाई थी।

पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया। उनके आदेश पर सीओ सिटी हर्षित चौहान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर एसपी कार्यालय में संबद्ध किया गया है। इसके अलावा, नगर कोतवाली प्रभारी रामकिशन राणा और गदिया चौकी प्रभारी गजेंद्र सिंह समेत चौकी के सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य ने पुलिस की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए सीओ और चौकी प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

क्यों भड़का था विवाद?

रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में LLB कोर्स की मान्यता को लेकर छात्रों का गुस्सा कई दिनों से भड़क रहा था। छात्रों का आरोप है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2021 में यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द कर दी थी, फिर भी अवैध रूप से एडमिशन लिए जा रहे हैं। चार साल से परीक्षाएं नहीं हो रही हैं, जिससे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

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